बुन लिया है मेरा आस्मां,
अब ना ज़िंदगी की धूप है ,
ना ज़माने की बेरुख हवा,
जो अरमान जला सकें ।
-कैवी अरोड़ा भण्डारी
जाने मन को मेरे किसकी तलाश है
कौन सी मंज़िल, कौन सी राह
जिसे पाया नहीं ,
जिसे पाने की प्यास है
जाने मन को मेरे किसकी तलाश है...
कौन सा पल, कौन सा समय
जिसे पकड़ना था, छूना था
जो हाथ नहीं आया?
जो चाहा था, वो साथ नहीं,
जो साथ है वो भी कहाँ पास है?
जाने मन को मेरे किसकी तलाश है...
बूँद हूँ, जाने किस सागर में जाना है
लहर हूँ, जाने किस चाँद को पाना है
बीज हूँ, उस पंछी की चोंच का,
जाने किस जंगल को बसाना है
जो बीत गया, जो आना है
किसी पर भी तो बस नहीं,
जो है तो बस ये एहसास है
जाने मन को मेरे किसकी तलाश है...
इंद्रधानुष के पार, दूर कहीं एक गाँव है...
इंद्रधानुष के पार, दूर कहीं एक गाँव है...
शायद वही मंज़िल है,
शायद वही तलाश है...
शायद वही मंज़िल है,
शायद वही तलाश है...
Chatpal is an unexplored and offbeat picturesque hamlet in the Brengi river valley. Juxtaposed against the snow-covered Himalayan peaks and...