Sunday 20 August 2017

तेरी यादों के पश्मीना धागों से,
बुन लिया है मेरा आस्मां,
अब ना ज़िंदगी की धूप है ,
ना ज़माने की बेरुख हवा,
जो अरमान जला सकें ।

-कैवी अरोड़ा भण्डारी

Thursday 3 August 2017

मेरी तलाश

जाने मन को मेरे किसकी तलाश है

कौन सी  मंज़िल, कौन सी राह

जिसे पाया नहीं ,

जिसे पाने की प्यास है

जाने मन को मेरे किसकी तलाश है...


कौन सा पल, कौन सा समय

जिसे पकड़ना था, छूना था

जो हाथ नहीं आया?

जो चाहा था, वो साथ नहीं,

जो साथ है वो भी कहाँ पास है?

जाने मन को मेरे किसकी तलाश है...


बूँद हूँ, जाने किस सागर में जाना है

लहर हूँ, जाने किस चाँद को पाना है

बीज हूँ, उस पंछी की चोंच का,

जाने किस जंगल को बसाना है 

जो बीत गया, जो आना है

किसी पर भी तो बस नहीं,

जो है तो बस ये एहसास है

जाने मन को मेरे किसकी तलाश है...


इंद्रधानुष के पार, दूर कहीं एक गाँव है...

इंद्रधानुष के पार, दूर कहीं एक गाँव है...

शायद वही मंज़िल है,

शायद वही तलाश है...

शायद वही मंज़िल है,

शायद वही तलाश है...

love, it never ends...

To end the loneliness we fall in love...
N love makes sure we remain ended to it...
live and end in loneliness ...

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