तेरी यादों के पश्मीना धागों से,
बुन लिया है मेरा आस्मां,
अब ना ज़िंदगी की धूप है ,
ना ज़माने की बेरुख हवा,
जो अरमान जला सकें ।
-कैवी अरोड़ा भण्डारी
बुन लिया है मेरा आस्मां,
अब ना ज़िंदगी की धूप है ,
ना ज़माने की बेरुख हवा,
जो अरमान जला सकें ।
-कैवी अरोड़ा भण्डारी
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